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लोकतन्त्र के मंदिर "लोकसभा " मे प्रवेश लेकिन देवी - देवताओं के दर्शन नहीं



आज 12 अगस्त 2016 को मानसून सत्र के आखिरी दिन लोकतन्त्र के मंदिर मे " लोकसभा "मे दर्शक के रूप में प्रवेश करने सौभाग्य प्राप्त हुआ ।
छत्तीसगढ़ मे कोरबा लोकसभा सांसद श्री बंशिलाल महतो जी के सहयोग से एवं उनके दिल्ली कार्यालय से सहयोगी के रूप में श्री संतोष देवांगन जी के माध्यम से हमे यह सौभाग्य प्राप्त हुआ जिसके लिए मै इन्हे बहुत बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ ।
कोरबा लोकसभा सांसद श्री बंशीलाल महतो





हमे अंदर प्रवेश करने का समय 12 बजे से 1 बजे तक के बीच वाला समय मिला था ,जब लोकसभा मे शून्यकाल चल रहा होता है ,
हम 11.15 am मे केन्द्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 5 से बाहर निकलकर लोकसभा के रिसिप्शन गेट मे पहुचे जहाँ अंदर जाने से पहले मोबाइल या अन्य ईलेक्ट्रोनिक समान को जमा करना पड़ा 

ठीक पीछे  रिसिप्शन सेंटर दिखाई देता हुआ 


 फिर द्वि स्तरीय सुरक्षा चेकिंग से गुजरकर अंदर रिसिप्शन सेंटर पहुचे जहाँ श्री संतोष देवांगन के माध्यम से हमे पास मिला ,फिर पास और एक पहचान पत्र के साथ संसद भवन परिसर मे प्रवेश करने के लिए कतार बद्ध होना पड़ा एवं पुनः द्वि स्तिरीय सुरक्षा चेकिंग से गुजरना पड़ा ,जब हम कतार मे खड़े ही थे की सबको ये बोला गया की जिन लोगो के राज्यसभा पास हैं वे लोग कतार से बाहर हो जाएँ ,क्यूंकी राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित होने के साथ ही साथ सत्र समाप्ती की भी घोषणा हो गई थी । कुछ समय के लिए तो मन मे उन सभी लोगो के लिए सहानुभूति जागृत हुई और हँसी भी आने लगी की बेचारे इतने मेहनत से पास का प्रबंध करके ,सुरक्षा चेकिंग लाइनों मे घंटो लाइन लगाकर यहाँ तक पहुचे थे फिर बिना राज्यसभा की कार्यवाही देखे मायूष होकर खाली हाथ लौटने के लिए मजबूर थे । 
जिसके बाद हम संसद भवन परिसर मे प्रवेश किए और अब लोकसभा सदन मे प्रवेश के लिए फिर से कतार बद्ध होना पड़ा । 
हमारा नंबर आते तक लगभग 12.30 हो चुके थे ,और हम अब लोकसभा भवन के अंदर थे एवं सदन मे प्रवेश से ठीक पहले की आखिरी सुरक्षा चेकिंग से गुजर ही रहे थे की आवाज आई की लोकसभा की भी कार्यवाही स्थगित होने के साथ साथ मानसून सत्र के समाप्ती की भी घोषणा हो गई है । 
अब हमारी हालत भी ठीक वैसी ही थी जिन पर हम कुछ समय पहले ही हँस  रहे थे (राज्यसभा विसिटर ) अब हमे भी सुरक्षा कर्मियों ने लाइन से बाहर जाने का रास्ता दिखा दिया ,इस तरह हम भी 1 minut ही दूर थे लोकसभा सदन मे प्रवेश से  और हमारी किस्मत की भी बत्ती गुल हो गई । 
अब तक तो राजनेता भी सदन से बाहर आने लगे थे अतः हम अंदर तो नहीं जा पाए लेकिन लगभग 12.50 तक संसद भवन परिसर मे राजनेताओ के दर्शन करते रहे और उनके इंटरव्यू सुन खुद को संतुष्ट करने लगे । 
यह भी एक अनोखा दृश्य रहा कि कल तक हम जिन्हे टेलीविज़न मे ही देखा करते थे ,उन्हे अपने ठीक सामने 1 मीटर से भी कम कि दूरी से देख पा रहे थे ,और लगभग चारो तरफ मीडिया कर्मियों द्वारा नेताओ का  इंटरव्यू  लिया जाने लगा । 
हम जिन्हे पहचान सके उनमे ये शामिल थे - श्री प्रकाश जावडेकर ,श्री अरुण जेटली ,श्री पीयूष गोयल ,श्री राजीव शुक्ल ,श्रीमति किरण खेर ,श्री चिराग पासवान आदि 

इस तरह लोकतन्त्र के मंदिर "लोकसभा " मे प्रवेश तो किए ही थे कि  देवी - देवताओं के दर्शन नहीं हुए ,क्यूँ नहीं हुए  ? ये तो आप देखते ही होंगे ,हमारे देश के लोकतन्त्र के मंदिर कहे जाने वाले दोनों सदनो कि कार्यवाही का सीधा प्रसारण । 


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